सक्ती । नगर में आबकारी विभाग की निष्क्रियता और एक जगह मालिक की दबंगई के चलते एक वैध लाइसेंसी चखना सेंटर संचालक को बेदखल कर दिया गया। यह मामला न केवल प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण है, बल्कि एक छोटे व्यापारी को प्रताड़ित करने की गंभीर साजिश का भी संकेत देता है।
चखना सेंटर के संचालक अभिषेक जायसवाल ने बताया कि दुकान का किराया पहले 50 हजार रुपये प्रतिमाह तय हुआ था, जिसकी सहमति दोनों पक्षों के बीच थी। लेकिन कुछ समय बाद जगह मालिक ने दबाव बनाकर अचानक किराया 1.20 लाख रुपये प्रति माह करने की मांग शुरू कर दी। जब व्यापारी ने इस अव्यवहारिक मांग को मानने से इनकार किया, तो मकान मालिक ने अपने गुर्गों को भेजकर जबरन दुकान खाली करा दी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब एक वैध लाइसेंसी दुकान के साथ हुआ, और आबकारी विभाग के अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम पर मौन साधे बैठे हैं। अधिकारी अपने एसी चेंबर में आराम फरमाते रहे,और चखना संचालक दर दर अपनी गुहार लगाते अधिकारियों के पास भटकता रहा आबकारी अधिकारी नितिन शुक्ला से बात करने पर जवाब मिलता था देख नहीं रहे हो मै अभी बीजी हु ,उप्पल से बात कर लो बोल दिया हु और सक्ती आबकारी विभाग के उप्पल साहब से बात करने में जवाब आता है कि मैं मौके में नहीं आ सकता हु तुम बोलो मै खाली नहीं करूंगा ।कुल मिलाकर आबकारी विभाग के अधिकारी चखना सेंटर वाले से पैसा डलवाने प्रेसर बना सकते है और उसकी समस्या तकलीफ से उनको कोई लेना देना नहीं है। और उधर गुर्गों द्वारा एक वैध लाइसेंसी दुकानदार को उजाड़ा जा रहा था। इससे यह स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारी या तो मिलीभगत में हैं या फिर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं।
व्यापारी अभिषेक जायसवाल ने आरोप लगाया है कि विभाग द्वारा उन्हें पहले ही लाइसेंस फीस के नाम पर बार-बार परेशान किया जा रहा था, और अब इस दबंगई में भी विभाग ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया ।
लगातार शिकायत के बावजूद आबकारी विभाग आखिर क्यों उस जगह से दुकान हटा नहीं रहा है ये समझ से परे है और लगातार सवालिया निशान खड़े हो रहे है कि क्या महीना बंधा हुआ है जगह मालिक से आबकारी विभाग का या और कोई कहानी है।
व्यापारी संगठनों और स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। सभी ने एक स्वर में मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों – चाहे वे अधिकारी हों या दबंग जगह मालिक – के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
प्रश्न उठता है – क्या वैध कारोबार करने वालों को अब गुंडागर्दी और सरकारी चुप्पी के बीच जीना पड़ेगा?
यह मामला प्रशासन के लिए एक कड़ी चेतावनी है कि अगर ऐसे मामलों को नजरअंदाज किया गया, तो व्यापारी वर्ग का भरोसा सरकार और कानून व्यवस्था से पूरी तरह उठ जाएगा।