छत्तीसगढ़सक्ती

हरि गुजर पैलेस (पीला महल,)सक्ती क्षेत्र की धरोहर है, कोई प्रॉपर्टी नहीं है, इस धरोहर को सदैव संजोय रखना मेरी जिम्मेदारी- राजा धर्मेंद्र सिंह,

राजमहल मामले पर 22 जुलाई को राजा धर्मेंद्र सिंह ने  पत्रकार वार्ता में कहां कि मैं 5 वर्ष का था सन 1997 में राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने मुझे गोद  लिया

श्रीमती गीता सिंह का आज भी नेपाली नागरिकता  है ।

सक्ती– सक्ती स्टेट का हरि गुजर पैलेस पीला महल कोई प्रॉपर्टी नहीं, अपितु पूरे क्षेत्र के लोगों की एक धरोहर है, इस धरोहर को सदैव सुरक्षित रखना ही मेरी एवं मेरे परिवार की जिम्मेदारी है,  मेरे पिताजी राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने सदैव इस धरोहर को सहेज कर रखा एवं मैं भी अपने परिवार के साथ सदैव इस धरोहर को एवं इसकी छवि को धूमिल होने नहीं दूंगा एवं मुझे अगर अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं उसके लिए तैयार हूं, उपरोक्त बातें 22 जुलाई को स्थानीय हरि गुजर महल (पीला महल ) में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान सक्ती जिला पंचायत  के सभापति, सदस्य  राजा धर्मेंद्र सिंह ने कही, पत्रकार वार्ता का आयोजन 25 जून 2025 को राजमहल  में घटित घटना को लेकर किया गया था, जिस पर राजा धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि 25 जून की घटना में मेरी पत्नी घर पर अकेली थी एवं कुछ कर्मचारी महल के परिसर में थे, तथा इतने सारे लोगों के द्वारा एक अकेली महिला जानकर बलात रुप से महल में घुसकर मेरी पत्नी के साथ मारपीट एवं कर्मचारी रतीराम के साथ मारपीट कि की उनका हाथ ही टूट गया और भी कर्मचारी घायल  हुए मेरी पत्नी को गेट से बाहर कर दिया गया ताला लगा करके अंदर आने नहीं दिया इस अप्रत्याशित घटना मेरे पत्नी साथ हुई  पुलिस थाना गई जहां से पुलिस आकार एवं स्थानिक लोगों ने हमारी मदद की   महल में घुसकर मारपीट करना  काफी अशोभनीय हैं  25 जून की घटना में मेरे परिवार को सुरक्षित करने के लिए दिए गए अपने योगदान के लिए पुलिस प्रशासन एवं क्षेत्र की जनता का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरे परिवार को सुरक्षित करने में सहयोग किया  धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि श्रीमती गीता देवी अगर महल आना चाहती थी तो उसे कौन रोकता लेकिन 40-50 लोगों को साथ में लाकर मारपीट जैसे घटना को अंजाम दिया गया आज भी मेरी पत्नी दहशत में है मेरी पत्नी उन सभी को जानती है और जिनका थाने जाकर नामजत रिपोर्ट दर्ज कराई है वे सभी वहां पर मौजूद थे हमने श्रीमतीगीता देवी को महल आने के लिए नहीं रोका अगर वह आना चाहते हैं तो वहां आ सकती थी लेकिन इतने सारे लोगों को बुलाकर मारपीट जैसी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया सीधा प्लानिंग के तहत घटना कारित किया गया श्रीमती गीता देवी का नागरिकता आज भी नेपाल की है यहां फ़र्ज़ी दस्तावेज शामिल किया गया है

राजा धर्मेंद्र सिंह ने आगे कहा कि राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने उन्हें सामाजिक रूप से एवं सामाजिक विधि विधान से गोद लिया था, श्री सिंह ने कहा कि राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के रहते हुए ही मां महामाई दाई मंदिर, जवाहरलाल नेहरु महाविद्यालय एवं तुर्रीधाम मंदिर को एक पृथक समिति का गठन कर उसका संचालन किया जा रहा है,  25 जून की घटना से उनकी पत्नी भी काफी भयभीत हुई है, साथ ही उनके महल के कुछ कर्मचारियों एवं क्षेत्र के समर्थको के साथ मारपीट किया गयामहल  लोगों को इस घटना से चोटें भी आई, जिसकी संपूर्ण सूचना उन्होंने पुलिस प्रशासन को दी है, पत्रकारों द्वारा पत्रकार वार्ता के दौरान राजा धर्मेंद्र सिंह से पूछे जाने पर की राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह एवं श्रीमती गीता सिंह जी के बीच क्या विवाद है, तब राजा धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि सन 1990 में राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के साथ श्रीमती गीता सिंह जी का विवाह हुआ था, किंतु विवाह के एक दो महीने बाद ही वे वापस चली गई थी, तथा इस बीच वे जब भी आती थी तो राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने प्रारंभ से ही उनके रुकने की व्यवस्था सफेद महल में की थी, तथा पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर की राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह जी के निधन के पश्चात विधायक के रूप में मिलने वाली उनकी पेंशन की राशि क्या श्रीमती गीता सिंह को मिलेगी, इस पर राजा धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है, वही राजा धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि आज राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने अपने जीवन में रहते रहते लोगों की सहायता की तथा लोगों के एवं क्षेत्र वासियों के सभी छोटे-बड़े कामों को किया, एवं मुझे भी आज राजा साहब ने अच्छे संस्कार दिए है, तथा मैं भी उनके आदर्शों पर चलकर आगे कार्य करेंगे, एवं राजमहल में पहले भी कुछ लोगों द्वारा हमले की कोशिश उनके विवाह के समय की गई थी, जिसकी सूचना भी उन्होंने पुलिस थाने में दी थी राजा धर्मेंद्र सिंह ने आगे बताया कि क्या गरीब होना गुनाह है राजा साहब ने मुझे बचपन में ही गोद ले लिया था और मेरा शिक्षा दीक्षा उनके द्वारा किया गया था लोगों को कहना है कि मैं नौकर का बेटा हूं क्या नौकर का बेटा होना ही गुनाह है लेकिन मेरे पिता राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने मुझे हमेशा यही सीखाते रहे जितने भी दुख तकलीफ आए घबराना मत मै संघर्ष करता रहूंगा  मैं उनके बताए हुए विचारों पर चलकर राजमहल धरोहर को सहेज कर रखूंगा और हमेशा राजमहल के  पूर्वजों के बताये अनुसार ही साथ आगे बढ़ता रहूंगा इसमें अगर मेरी जान भी चली जाए तो कोई परवाह नहीं

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