सक्ती

एन एच एम संगठन और सरकार आमने सामने,                     16500 कमर्चारियों को नौकरी से निकाल कर नए भर्ती का धमकी भरा पत्र जारी

सरकार की संवेदनशीलता, परिवार के सदस्यों को निकाल रही साय सरकार

सक्ती  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संगठन की ओर से 16500 कमर्चारियों को नौकरी से निकाल कर नए भर्ती का धमकी भरा पत्र जारी ,30 दिनों से जारी अनिश्चित कालीन हड़ताल के दौरान कल दिनांक 15/09/2025 को राज्य कार्यालय से स्वास्थ्य सचिव का चेतावनी और धमकी भरा पत्र जारी हो गया। सरकार की संवेदनशीलता और कमर्चारियों के प्रति उसकी मंशा साफ झलक रही है इस पत्र में। पत्र के माध्यम से राज्य भर में जारी हड़ताल को तोड़ने का प्रयास किया गया है। इस दमनकारी पत्र से प्रतीत होता है कि राज्य सरकार जो बार बार संवेदशीलता की बात कर रही थी वो उसके पास है ही नहीं। कर्मचारी संगठन की ओर से 170 बार से ज्यादा विधायक मंत्री और न जाने कितने ही सत्ताधारी पार्टी के लोगों को ज्ञापन दिए। यह संघटन के संवेदनशीलता का परिचय था,जिसे संगठन ने अपनी मांगो और जन सामान्य की असुविधा को ध्यान में रखते हुए कार्य किया ताकि किसी भी प्रकार के बेमुद्दत हड़ताल की आवश्यकता न पड़े।
परंतु शासन के असंवेदनशील रवैए और सुस्त चाल के कारण आज स्वास्थ्य सुविधाएं पूरे प्रदेश पटरी से उतर गई। सरकार चाहती तो घोषणा पत्र में किए गए वादों को ध्यान में रखते हुए इन विषयों पर कार्यवाही कर सकती थी। पर शायद चुनाव जीतने के उपरांत वादों की प्राथमिकताएं वोट बैंक अनुसार बदल जाती है। कर्मचारी संगठनों की मांगे हाशिए पर चली जाती है। सरकार में बड़े ओहदों पर आसीन प्रशासनिक अधिकारी गण भी अपनी कलम बचाते हुए नियमों का हवाला देकर अपना हाथ खींच लेते है। कोई भी ऐसा प्रशासनिक अधिकारी नहीं जो इनकी मांगो को गम्भीरता से विचार कर उनके लाभ हानि को सरकार के पटल पर रखे । वो सरकार के नुमाइंदे जो केंद्र और राज्य की शाख बचाने में लगे होते है उनको सालों से कोल्हू के बैल की तरह काम करने वाले कर्मचारी कभी दिखाई नहीं देते जिनकी बदौलत वो बड़े बड़े मंचों में दिल्ली जाकर अवॉर्ड लेकर आते है। इन सम्मान में कही भी वो निचले स्तर के कर्मचारियों का कोई लाभ नहीं होता और इस ढकोसले से उनका घर नहीं चलता। कर्मचारी अपनी रोजी रोटी पेट पालन और भविष्य की चिंता में दिन रात अपनी सेवा दे रहा है और सरकार से यही तो मांग रहा है कि उनका भविष्य सुरक्षित हो जाए।

बाबा साहब के बनाए हमारे भारतीय संविधान में पहली लाइन है हम भारत के लोग मतलब हमको वो सारे हुकूक अधिकार है जो संविधान ने हमें दिए है। अपने जीवन यापन,भविष्य के प्रति सुरक्षा , रोजगार और चुनी हुई सरकारों से सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार की मांग तो कर ही सकते है। सरकार किसके लिए बनती है कौन बनाता है सरकार ?
आज वही। हाशिए पर चले जाते है।
बड़े बड़े कानून बन जाते है,पुराने कानूनों,नीति ,नियमो को बदला जा सकता है। विधानसभा, लोकसभा जैसे सदनों में कभी कर्मचारी संगठन की मांगो को की उठता नहीं है। पूरे देश में ये कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है है। छत्तीसगढ़ में भी 10 सालों से एन एच एम के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर आंदोलन प्रदर्शन करते रहे। सरकार आती रही जाती रही पर किसी सरकार के कान में जू तक नहीं रेंगे। 9 दिन चले अढ़ाई कोश जैसे मुहावरे इनके लिए सही बैठते है।
सरकार बनने के बाद न जाने कितनी बार कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठके हो गई। नेता मंत्री अपनी वेतन,भत्ते,मोबाइल भत्ते, आवास भत्ते, और न जाने कितने ही फेर बदल कर संवैधानिक पदों का आर्थिक लाभ बढ़ा लिया। और हर सरकार ये काम करती है।
पर मजाल हो कि इन 16500 कर्मचारियों की मांगो को कभी कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई हो या किसी मंत्री विधायक ने विषय पर अनिश्चित कालीन आंदोलन के पहले सार्वजनिक बयान दिया हो,नहीं आज तक नहीं कर पाए !
कुछ दिन पूर्व मीडिया में छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी से एन एच एम के विषय सवाल पूछा गया कि इनके आंदोलन के बारे में क्या कहेंगे ?
उनका जवाब था ये हमारे परिवार के सदस्य है परिवार में कभी कभी कुछ बाते होती रहती है जिसे सुलझा लिया जाएगा इतना कहकर वो चले गए और जवाब देने से बचते नजर आए।
आज उन्हीं परिवार के सदस्यों को सरकार ने धमकी भरे पत्र के माध्यम से नौकरी से निकालने की धमकी तो साथ ही नई भर्ती करने के लिए प्रदेश के 33 जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश भी तत्काल आदेश जारी कर दिए गए। इतनी तत्परता उन मांगो के आदेश जारी करने में दिखा देते तो आज 30 दिनों से चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर आ चुकी होती।
सरकार को ये समझना होगा कि ये विषय आगे जाकर विकराल रूप ले सकती है। समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो परिणाम बहुत गंभीर और अपेक्षाकृत नहीं होगा। जिसकी जिम्मेदार सरकार ही होगी।
जिन मांगो को सरकार मानने का दावा कर रही है उनके आदेश जारी तक नहीं किए गए। और जो आदेश जारी किए गए उनमें भी किंतु परंतु लगाकर अड़चन पैदा कर दी गई। संघटन के द्वारा उसमें आपत्ति दर्ज कराई जिसे सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया। शासन ने मांगो को लेकर कमेटियां बनाई उन कमेटी में एन एच एम संगठन के किसी भी पदाधिकारी को सदस्य के रूप में नहीं रखा गया !
समिति में किसी नीति नियम में यदि लाभ या हानि,उचित अनुचित का विषय आए तो उसे कौन निर्धारित करेगा। यदि आप स्वयं सब निर्धारित करना चाहते है तो प्रशासनिक अधिकारी गण और सरकार ये समिति बनाने का दिखावा और ढकोसला क्यों कर रही है।
आप कहा था हमने बनाया है हम ही संवारेंगे सवाल ये है आपने बनाया आप कब संवारेंगे ?
आगे पूरे प्रदेश में आंदोलन और तेज और उग्र होगा। यदि सरकार प्रशाशन दमन की नीति अपनाएगी तो संघटन की ओर से भी संवैधानिक तरीके से जवाब दिया जाएगा।
समस्त जिला की ओर से राज्यपाल महोदय से इच्छामृत्यु मांगी जा रही है। कुछ दिनों में जेल भरो आंदोलन किया जाएगा। जैसे जैसे दिन बढ़ते जा रहे है संगठन मजबूती के साथ आंदोलन में खड़ा रहेगा।
सरकार अपनी संवेदनशीलता दिखाए,जो घोषणा पत्र में वादा किया गया था उसे निभाए।
एन एच एम संगठन के प्रदेश श्री अमित कुमार मीरी जी ने दो दिन पहले भी सोसल मिडिया के माध्यम से कहा कि सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेड पे जैसे मांगो को पूरा करने का लिखित अश्वाशन दे दे और जो भी निर्धारित समय लेना है लेले।साथ ही जो पांच मांगे मानी गई उनकी आपत्ति दर्ज कराई गई उनको ध्यान में रखते हुए आदेश जारी करें और बर्खास्त साथियों की ससम्मान वापसी हो* हम अपना हड़ताल स्थगित कर देंगे।
परंतु कई दौर के बैठक प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से भी पर कोई नतीजा नहीं निकला।
सरकार को वार्ता कर बीच का रास्ता निकालना होगा अन्यथा प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं विकराल रूप ले सकती है। और साथ ही सरकार के लिए भी मुसीबत खड़ी हो सकती है।
इस लिए सरकार इनकी मांगो को लेकर संवेदनशील रवैया अपनाए और इनकी मांगो को लिखित आदेश देकर हड़ताल खत्म कराए।

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