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परमपूज्य बाबा गुरूघासीदास का संदेश “मनखे मनखे एक समान” महज़ एक नारा नहीं, जीवन की एक शैली है – अर्जून राठौर

छत्तीसगढ़ के महान सपूत स्व खुबचंद बघेल ने कहा है, हर कोई जो छत्तीसगढ़ की धरती से और हमारी संस्कृति से प्यार करता है वही असली छत्तीसगढिया – अर्जुन राठौर

सक्ती छत्तीसगढ़ में विगत कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति पर निशाना, परमपूज्य बाबा गुरुघासीदास, महाराजा अग्रेसन, संत झूलेलाल पर अभद्र टिप्पणी और दो पक्षों में चल रहे आरोप प्रत्यारोप के संदर्भ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के जिला अध्यक्ष अर्जुन राठौर ने नफ़रत की दिवार को हटाकर प्यार और एकता का फिर से परिचय देने का छत्तीसगढ़ वासियों से आह्वान करते हुए कहा मेरे छत्तीसगढ़ के सभी भाइयों और बहनों को जय जोहार, आज मैं दिल की गहराइयों से कुछ बातें करना चाहता हूँ। पिछले कुछ दिनों से हमने कुछ सुना है, देखा है वह हमारे लिए, हमारी संस्कृति के लिए एक गहरा ज़ख़्म है। हमारी छत्तीसगढ़ महतारी को निशाना बनाना, हमारे परमपूज्य बाबा गुरु घासीदास, महाराजा अग्रसेन और संत झुलेलाल जैसे महान विभूतियों के विरुद्ध घृणा फैलाई गयी। यह घटनाएँ सिर्फ़ पत्थर की मूर्तियों पर लोगों की आस्थाओं पर हमला नहीं है। यह हमारी छत्तीसगढ़ की अस्मिता पर सीधा सीधा हमला है और इसी दुःखद घटनाओं का फ़ायदा उठाकर कुछ लोग हमारे बीच एक “हम और तुम” फ़र्क़ पैदा करने में लगे हुए है। यह कहते है कि कौन असली छत्तीसगढ़िया है और कौन नहीं ?

उन्होंने कहा हमारे स्व अजीत जोगी जी हमेशा कहते थे, उनके प्रेरणा छत्तीसगढ़ के महान संत बाबा गुरुघासीदास जी का विचार “मनखे मनखे एक समान”, यह नारा नहीं बल्कि जीवन की एक शैली है। यही सोच स्व जोगी जी को प्रेरित किया और अग्रवाल समाज के निवेदन पर एक राज्य पुरस्कार समता के प्रतीक महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखें। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ के महान सपूत स्व ख़ूबचंद बघेल जी ने कहा था हर कोई जो छत्तीसगढ़ की धरती से, हमारी संस्कृति से प्यार करता है वही असली छत्तीसगढ़िया है और स्व जोगी की सरकार उनकी इसी सोच को क़ानूनी दृष्टि से भी अपनाया। आज ज़रूरत है इस विचार को फिर से याद करें, अपने जीवन में फिर से जीवंत करें।

उन्होंने कहा बहुत हो चुका ये हंगामा, बहुत हो चुका ये नफ़रत का खेल, अब वक्त आ गया है एक जुट होने का, हमें एक दूसरे को नीचे गिराने का नहीं बल्कि कंधे से कंधा मिलाकर अब आगे बढ़ने की, अपने पुरखों की सपने को, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के सपने को साकार करने की है। आइए नफ़रत की इस दिवार को हटाकर उस प्यार, उस एकता का फिर से परिचय दें जो हमारे छत्तीसगढ़ की एक विशेष पहचान है। आइए हम सब मिलकर आगे बढ़े। जय छत्तीसगढ़, जय भारत।

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